जन्माष्टमी: कृष्ण की शैतानी लीला: माखन चोरी और गोपियों की शिकायत का रहस्य

भगवान श्री कृष्ण की बाललीलाओं की चर्चा संपूर्ण भारतीय परंपरा में विशेष स्थान रखती है। उनकी बाल्यकाल की अनेक लीलाएँ हमें उनकी दिव्य प्रकृति और मनोहर व्यक्तित्व का परिचय देती हैं। इनमें से एक प्रसिद्ध कथा है, जब गोपियाँ भगवान श्री कृष्ण की शिकायत करने उनके पास आती हैं। इस लेख में हम उसी अद्भुत कथा का वर्णन करेंगे, जिसमें भगवान कृष्ण की माखन चोरी की लीलाओं की चर्चा की गई है।

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माखन चोरी की लीला

गोपियाँ, जिन्हें कृष्ण के बाल स्वरूप की अद्भुत लीलाओं का अनुभव था, अक्सर भगवान श्री कृष्ण की माखन चोरी की शिकायत करने उनके पास आती थीं। वे भगवान की शिकायत करते हुए कहती थीं कि श्री कृष्ण उनके घर में घुसकर माखन चुरा लेते हैं और उनकी मटकी तोड़ देते हैं। इस कथा में माखन चोरी की लीला को समझना बहुत ही महत्वपूर्ण है।

कथा के अनुसार, जब गोपियाँ भगवान श्री कृष्ण की शिकायत लेकर यशोदा मैया के पास जाती हैं, तो वे अपनी शिकायत को लेकर काफी उदासीन और परेशान होती हैं। वे यशोदा मैया से कहती हैं, “अरे मैया, तुम्हारे लाला ने हमारे घर में घुसकर सब माखन खा लिया और मटकी को भी तोड़ दिया।” इस प्रकार, गोपियाँ भगवान कृष्ण की इन शैतानी लीलाओं की शिकायत करने आई थीं।

कृष्ण का उत्तर और उनकी लीला

जब गोपियाँ यशोदा मैया से शिकायत करती हैं, तो कृष्ण स्वयं उनसे मिलकर जवाब देते हैं। वे कहते हैं, “मैया, मैं माखन नहीं चुराया है।” कृष्ण ने इस प्रकार की लीला क्यों की, इसका कारण समझना आवश्यक है। भगवान श्री कृष्ण बालक के रूप में अपनी लीला को सामान्य रूप से जीते हैं। वे यह दर्शाना चाहते हैं कि वे मानव रूप में आकर भी सामान्य बच्चों की तरह स्वभाव रखते हैं।

कृष्ण ने माखन चोरी की लीला इसलिए की ताकि वे यह दिखा सकें कि उनका दिव्य रूप भी साधारण मनुष्यों की तरह व्यवहार करता है। यह लीला भगवान की सरलता और सहजता का एक उदाहरण है।

यशोदा मैया की भूमिका

यशोदा मैया की भूमिका इस कथा में महत्वपूर्ण है। जब कृष्ण ने माखन चोरी की, तो यशोदा मैया ने उन्हें पकड़ने के लिए लाठी उठाई और उनका पीछा किया। भगवान श्री कृष्ण, जिनके डर से यमराज भी कांपते हैं, खुद यशोदा मैया के डर से भागते हैं। यह लीला दर्शाती है कि भगवान कितने सरल और सहज हैं।

यशोदा मैया ने जब कृष्ण को पकड़ लिया, तो भगवान ने उनकी कृपा को स्वीकार किया और उन्होंने खुद को बांधने की अनुमति दी। यह घटना भगवान की विनम्रता और भक्तों के प्रति उनकी श्रद्धा को दर्शाती है।

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भगवान के बालस्वभाव की विशेषता

भगवान श्री कृष्ण की बालस्वभाव की विशेषता यह है कि वे बच्चों की तरह ही हर चीज को अपने लिए आकर्षक मानते हैं। बच्चों का स्वभाव होता है कि वे हर नई चीज को मुंह में डालते हैं, और कृष्ण का स्वभाव भी इसी तरह का था। इसीलिए, वे माखन को चुराकर खाते थे, जो उनके स्वभाव का हिस्सा था।

गोपियों की शिकायत और भगवान का दर्शन

गोपियाँ जब भगवान श्री कृष्ण की शिकायत करने आती हैं, तो यह केवल एक बहाना होता है उनके दर्शन करने का। वास्तव में, वे भगवान की दिव्य लीलाओं का अनुभव करने और उनसे साक्षात्कार करने के लिए आती हैं। शिकायत करना एक तरीका है उनके साथ बातचीत करने का, और इससे उन्हें भगवान की ओर से अनुग्रह प्राप्त होता है।