क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान शिव हमेशा बाघ की खाल पर ही क्यों बैठते हैं?
एक समय हिमालय के जंगलों में कुछ ऋषि तपस्या करते थे। वे अपने ज्ञान पर गर्व करते थे और सोचते थे कि वे भगवान शिव से भी श्रेष्ठ हैं।
जब भगवान शिव वहां पहुंचे,तो ऋषियों ने अपनी ताकत दिखाने के लिए जादू से एक बाघ को पैदा किया और उसे भगवान शिव पर छोड़ दिया।
लेकिन शिव तो महादेव हैं! उन्होंने उस बाघ को मारकर उसकी खाल को अपने आसन के रूप में धारण कर लिया।
बाघ की खाल पर बैठना यह दिखाता है कि भगवान शिव प्रकृति और उसके खतरों पर पूर्ण नियंत्रण रखते हैं। यह शक्ति और विजय का प्रतीक है।
यह हमें सिखाता है कि हर चुनौती, चाहे वह कितनी भी बड़ी क्यों न हो, शांत मन और अटल विश्वास से जीती जा सकती है।
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