दुर्गा माता, हिन्दू धर्म की प्रमुख देवीयों में से एक हैं जिनकी महिमा और महत्वपूर्ण स्थानकारी भूमिका है। उनके बारे में बहुत सी प्रमुख कथाएं और रूपों की जानकारी हमें मिलती है, लेकिन कुछ रोचक तथ्य और किसी अन्य दृष्टि से उनकी अनजानी विशेषताओं की जानकारी भी होना चाहिए। इस लेख में, हम दुर्गा माता के ऐसे ही 10 रोचक तथ्यों पर चर्चा करेंगे जिन्हें जानकर आपको उन्हें और भी गहराई से समझने का मौका मिलेगा।

  1. दुर्गा देवी का नाम और महत्व: दुर्गा का अर्थ है ‘कोई घेराव या जो दुर को नष्ट करती है’। इसका मतलब है कि दुर्गा देवी मानवता को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाली हैं।
  2. नवरात्रि का महत्व: दुर्गा पूजा नवरात्रि के दौरान मनाई जाती है, जो देवी के नौ रूपों की पूजा के लिए जाना जाता है। यह पर्व नववर्ष के प्रारंभ में मनाया जाता है और दुर्गा माता की महिमा का गान किया जाता है।
  3. दुर्गा का अद्वितीय स्वरूप: दुर्गा माता की एक अद्वितीय विशेषता यह है कि वह एक सिंह को सवार हैं, जिसे ‘सिंहवाहिनी’ कहा जाता है। यह सिंह शक्ति का प्रतीक है जो दुर्गा माता की शक्ति और साहस को दर्शाता है।
  4. महिषासुरमर्दिनी: दुर्गा माता का प्रसिद्ध रूप महिषासुरमर्दिनी हैं, जिन्होंने दानव राजा महिषासुर को मारकर भूमि को सुरक्षित किया था। इस साहसी क्रोधी रूप की पूजा दुर्गा पूजा के दौरान भी की जाती है।
  5. दुर्गा सप्तशती: दुर्गा सप्तशती एक प्रसिद्ध संस्कृत मान्यता है, जिसमें देवी की सात सैंताणिक रूपों की महिमा का वर्णन किया गया है। यह संहिता दुर्गा माता के शक्ति और प्राकट्य की कहानी को बताती है।
  6. दुर्गा के नौ रूप: दुर्गा माता के नौ रूप हैं – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री। ये रूप उनकी विभिन्न गुणों और कार्यों का प्रतीक हैं।
  7. दुर्गा के विजयी व्रत: दुर्गा के विजयी व्रत का मान्यता से जुड़ा एक दिलचस्प कथा है। इस व्रत को करने से माता दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  8. नवदुर्गा की चौराहा: नवरात्रि के दौरान नवदुर्गा की पूजा की जाती है, जिसमें देवी के नौ रूपों की मूर्तियाँ साथ में स्थापित की जाती हैं। इसे नवदुर्गा की चौराहा कहा जाता है।
  9. दुर्गा का सागर मंथन: हिन्दू पौराणिक कथाओं में दुर्गा माता ने देवों और असुरों के मध्य हुए सागर मंथन का संचालन किया था। इस समुद्र मंथन से अनेक अमृतों की प्राप्ति हुई थी।
  10. दुर्गा विसर्जन का महत्व: दुर्गा पूजा के अंत में दुर्गा माता की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है, जिसे ‘दुर्गा विसर्जन’ या ‘दशहरा’ कहा जाता है। इसका मतलब है कि दुर्गा माता अपनी भक्तों की मदद के लिए भूमि पर आती हैं और फिर अपने स्वर्गीय लोक को वापस जाती हैं।

इन रोचक तथ्यों के माध्यम से हमें पता चलता है कि दुर्गा माता के विविध रूप, कार्य और महिमा में कितनी गहराई है। उनकी पूजा और उनके अद्वितीय स्वरूप का ध्यान रखने से हम अपने जीवन में शांति, सुरक्षा और समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रेरित हो सकते हैं।