श्रीकृष्ण जन्माष्टमी: रोहिणी नक्षत्र का महा महत्व | बलरामाचार्य जी महाराज

रोहिणी नक्षत्र के अनुसार, जन्माष्टमी 27 अगस्त को मनाई जाएगी।
अष्टमी तिथि समाप्त – 27 अगस्त 2024 को सुबह 02:19 बजे। रोहिणी नक्षत्र शुरू – 26 अगस्त 2024 को दोपहर 03:55 बजे। रोहिणी नक्षत्र समाप्त – 27 अगस्त 2024 को दोपहर 03:38 बजे
कुछ लोग इसे 26 अगस्त को मनाएंगे लेकिन बांके बिहारी के स्थान वृंदावन में, जन्माष्टमी 27 अगस्त को मनाई जाएगी

रोहिणी नक्षत्र भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से गहरा संबंध रखता है। पुराणों के अनुसार, श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र के दौरान हुआ था, जो चंद्रमा के सबसे प्रिय नक्षत्रों में से एक है। इस नक्षत्र का स्वामी चंद्रमा है, जो मन और भावना का कारक माना जाता है। चंद्रमा और रोहिणी का यह संयोग एक अत्यंत शुभ संयोग माना जाता है, जो न केवल आध्यात्मिक बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

इस समय को अत्यंत पवित्र माना जाता है, और ऐसा माना जाता है कि रोहिणी नक्षत्र में की गई पूजा और आराधना का फल कई गुना बढ़ जाता है। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और जन्मोत्सव का आयोजन रोहिणी नक्षत्र के प्रभाव में होने के कारण अत्यधिक शुभ और फलदायी माना जाता है। यह नक्षत्र भक्तों को मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

जन्माष्टमी के दिन जब रोहिणी नक्षत्र का संयोग होता है, तो इसे और भी शुभ माना जाता है। इस समय किया गया ध्यान, जप, और पूजा विशेष फलदायी होता है। भक्तों का मानना है कि इस समय भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करने के लिए किए गए कार्य विशेष रूप से सफल होते हैं और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाते हैं।

इस प्रकार, रोहिणी नक्षत्र का जन्माष्टमी में अत्यधिक महत्व है और यह भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति और श्रद्धा को और भी गहरा करता है। इस नक्षत्र के प्रभाव से भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनका जीवन सुख, शांति और समृद्धि से भर जाता है।