कुंडली मिलान: विवाह के लिए सही साथी चुनने का ज्योतिषीय विज्ञान | पं. गायत्री देवी

भारतीय संस्कृति में विवाह केवल एक सामाजिक अनुबंध नहीं है, बल्कि एक पवित्र बंधन है जो दो आत्माओं को जोड़ता है। इस बंधन को स्थायी और सुखमय बनाने के लिए, ज्योतिष शास्त्र में कुंडली मिलान का विशेष महत्व है। कुंडली मिलान, जिसे ‘गुण मिलान’ भी कहा जाता है, वैदिक ज्योतिष का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह प्रक्रिया विवाह योग्य युवक और युवती की जन्म कुंडलियों का तुलनात्मक अध्ययन करके उनके बीच के सामंजस्य और अनुकूलता का आकलन करती है। आइए, विस्तार से जानें कि कुंडली मिलान कैसे किया जाता है और इसके क्या-क्या लाभ हैं।

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कुंडली मिलान का महत्व

कुंडली मिलान का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विवाह के बाद दंपति के बीच सामंजस्य और सुख-शांति बनी रहे। यह निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण है:

  1. मानसिक और शारीरिक अनुकूलता: कुंडली मिलान के माध्यम से यह जाना जा सकता है कि दंपति के बीच मानसिक और शारीरिक अनुकूलता कितनी है। यह भविष्य में होने वाली समस्याओं को समझने में मदद करता है।
  2. स्वास्थ्य और जीवन अवधि: कुंडली मिलान से यह भी पता चलता है कि दोनों की स्वास्थ्य स्थिति कैसी है और उनके जीवन की अवधि कैसी हो सकती है।
  3. संतान सुख: कुंडली मिलान से यह भी आकलन किया जाता है कि दंपति को संतान सुख प्राप्त होगा या नहीं।
  4. धन और संपत्ति: यह देखा जाता है कि दोनों के जीवन में धन और संपत्ति का योग कैसा रहेगा।
  5. विवाह के बाद की चुनौतियाँ: यह भी पता चलता है कि विवाह के बाद किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है और उन्हें कैसे हल किया जा सकता है।

कुंडली गुण मिलान का महत्व और प्रक्रिया

कुंडली मिलान में मुख्य रूप से आठ गुणों का मिलान किया जाता है, जिन्हें ‘अष्टकूट’ कहते हैं। ये आठ गुण हैं:

  1. वर्ण (1 गुण): यह गुण व्यक्ति के व्यक्तित्व और स्वभाव का आकलन करता है। इसके आधार पर यह देखा जाता है कि दोनों का स्वभाव कैसा है और वे एक-दूसरे के साथ कैसे सामंजस्य बिठा सकते हैं।
  2. वास्य (2 गुण): यह गुण व्यक्ति के आकर्षण और आधिपत्य का आकलन करता है। इससे यह पता चलता है कि दोनों में से किसका प्रभाव ज्यादा होगा और वे एक-दूसरे के प्रति कितना आकर्षित रहेंगे।
  3. तारा (3 गुण): यह गुण जन्म नक्षत्रों का आकलन करता है और दोनों के बीच के स्वास्थ्य और जीवन अवधि का संकेत देता है।
  4. योग (4 गुण): यह गुण जन्म कुंडलियों में योग का आकलन करता है और यह बताता है कि दोनों के बीच किस प्रकार का संबंध रहेगा।
  5. ग्रह मैत्री (5 गुण): यह गुण दोनों के जन्म कुंडलियों में ग्रहों की स्थिति का आकलन करता है और यह बताता है कि दोनों के बीच का मानसिक सामंजस्य कैसा रहेगा।
  6. गण (6 गुण): यह गुण दोनों के स्वभाव और व्यवहार का आकलन करता है और यह देखता है कि दोनों के बीच का व्यवहारिक सामंजस्य कैसा रहेगा।
  7. भकूट (7 गुण): यह गुण जन्म कुंडलियों में राशि का आकलन करता है और यह बताता है कि दोनों के बीच का स्वास्थ्य और संतान सुख कैसा रहेगा।
  8. नाड़ी (8 गुण): यह गुण जन्म कुंडलियों में नाड़ी का आकलन करता है और यह देखता है कि दोनों के बीच का स्वास्थ्य और संतान सुख कैसा रहेगा।

कुंडली मिलान की प्रक्रिया

कुंडली मिलान की प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में की जाती है:

  1. जन्म विवरण: सबसे पहले, युवक और युवती का जन्म विवरण (जन्म तिथि, समय और स्थान) लिया जाता है।
  2. कुंडली निर्माण: जन्म विवरण के आधार पर दोनों की जन्म कुंडलियों का निर्माण किया जाता है।
  3. गुण मिलान: दोनों की जन्म कुंडलियों का तुलनात्मक अध्ययन करके अष्टकूट मिलान किया जाता है। इसमें कुल 36 गुण होते हैं और यदि 18 या उससे अधिक गुण मिलते हैं तो इसे शुभ माना जाता है।
  4. दोष और उपाय: यदि कुंडली मिलान में कोई दोष पाया जाता है, जैसे कि मंगलीक दोष, तो उसके उपाय बताए जाते हैं। ये उपाय दोषों को दूर करने और विवाह को सुखमय बनाने में मदद करते हैं।

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कुंडली मिलान के अन्य पहलू

कुंडली मिलान में अष्टकूट मिलान के अलावा अन्य पहलुओं का भी ध्यान रखा जाता है, जैसे:

  1. मंगलीक दोष: मंगलीक दोष को विशेष रूप से देखा जाता है, क्योंकि यह विवाह में समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है। मंगलीक दोष के उपाय भी बताए जाते हैं।
  2. दशा और अंतरदशा: जन्म कुंडलियों में दशा और अंतरदशा का भी आकलन किया जाता है, जिससे यह पता चलता है कि विवाह के बाद का समय कैसा रहेगा।
  3. ग्रहों की स्थिति: ग्रहों की स्थिति का भी विश्लेषण किया जाता है, जिससे यह पता चलता है कि विवाह के बाद का जीवन कैसा रहेगा।

कुंडली मिलान के लाभ

कुंडली मिलान के अनेक लाभ हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:

  1. सुखमय वैवाहिक जीवन: कुंडली मिलान से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि दंपति का वैवाहिक जीवन सुखमय और सामंजस्यपूर्ण रहेगा।
  2. स्वास्थ्य और संतान सुख: कुंडली मिलान से यह भी पता चलता है कि दोनों का स्वास्थ्य कैसा रहेगा और उन्हें संतान सुख प्राप्त होगा या नहीं।
  3. धन और संपत्ति: यह देखा जाता है कि दोनों के जीवन में धन और संपत्ति का योग कैसा रहेगा।
  4. विवाह के बाद की चुनौतियाँ: यह भी पता चलता है कि विवाह के बाद किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है और उन्हें कैसे हल किया जा सकता है।