हरियाली तीज: महत्व, कारण और उत्सव

हरियाली तीज का महत्व:

हरियाली तीज हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जिसे विशेष रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है। हरियाली तीज का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि इसे हरियाली के मौसम में, खासतौर पर सावन के महीने में, मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं हरे रंग के वस्त्र पहनती हैं, मेहंदी लगाती हैं और पारंपरिक गीत गाकर और नृत्य करके उत्सव मनाती हैं।

हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है?

हरियाली तीज का त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की खुशी में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी रूप में स्वीकार किया। इस पुनर्मिलन को ही हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं और शिव-पार्वती की पूजा करती हैं।

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हरियाली तीज के दो प्रकार क्या हैं ?:

तीज मुख्यतः तीन प्रकार की होती है – हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज। हरियाली तीज को श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है और यह सावन के महीने में मनाई जाती है। कजरी तीज भाद्रपद महीने में मनाई जाती है और यह मुख्यतः उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में प्रसिद्ध है। हरतालिका तीज भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है और यह मुख्यतः उत्तराखंड और नेपाल में प्रचलित है। हरतालिका तीज का पर्व भी शिव-पार्वती के पुनर्मिलन का ही प्रतीक है।

वृंदावन में हरियाली तीज का उत्सव:

वृंदावन, जो भगवान कृष्ण की लीला स्थली के रूप में प्रसिद्ध है, हरियाली तीज का उत्सव विशेष धूमधाम से मनाता है। यहां के मंदिरों में विशेष पूजा और अर्चना की जाती है और भगवान कृष्ण और राधा की झांकियां सजाई जाती हैं। वृंदावन की गलियों में झूले लगाए जाते हैं और महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सज-धजकर झूला झूलती हैं। वृंदावन में हरियाली तीज के अवसर पर विशेष मेलों का आयोजन भी किया जाता है जहां भक्तगण भजन-कीर्तन करते हैं और भगवान कृष्ण और राधा के गीत गाते हैं। इस अवसर पर वृंदावन की राधा-कृष्ण मंदिरों में विशेष सजावट की जाती है और भक्तों के लिए विशेष प्रसाद का भी वितरण होता है।

हरियाली तीज की पत्नी कौन हैं?

हरियाली तीज की देवी माता पार्वती हैं। यह पर्व विशेष रूप से देवी पार्वती को समर्पित होता है और उन्हें इस दिन विशेष पूजा और अर्चना के माध्यम से याद किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। इसलिए, इस दिन महिलाएं माता पार्वती की पूजा करती हैं और उनसे अपने वैवाहिक जीवन में सुख, समृद्धि और संतोष की कामना करती हैं।

हरियाली तीज पर क्या-क्या करना चाहिए?

हरियाली तीज के दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। इस दिन को विशेष बनाने के लिए महिलाएं अपने हाथों पर मेहंदी लगाती हैं, हरे रंग के कपड़े पहनती हैं और पारंपरिक आभूषण धारण करती हैं। व्रत रखने वाली महिलाएं दिन भर निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को पूजा के बाद ही भोजन ग्रहण करती हैं। पूजा के दौरान शिव-पार्वती की मूर्तियों को सुशोभित किया जाता है और उन्हें फल, फूल और मिठाई अर्पित की जाती है। इसके बाद महिलाएं पारंपरिक गीत गाती हैं और झूला झूलती हैं।

हरियाली तीज के अनुष्ठान और परंपराएं:

हरियाली तीज के दिन महिलाएं विशेष रूप से सजती-संवरती हैं और अपने हाथों में मेहंदी लगाती हैं। वे अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर पारंपरिक गीत गाती हैं और नृत्य करती हैं। इस दिन महिलाएं एक-दूसरे को तीज के त्योहार की बधाई देती हैं और विभिन्न प्रकार के उपहारों का आदान-प्रदान करती हैं। इस दिन का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के बीच आपसी संबंधों को मजबूत बनाना और उनके जीवन में खुशियां लाना होता है।

हरियाली तीज की पूजा विधि:

हरियाली तीज के दिन सुबह-सवेरे महिलाएं स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करती हैं। इसके बाद वे पूजा स्थल को साफ करके वहां पर शिव-पार्वती की मूर्ति स्थापित करती हैं। पूजा के दौरान वे भगवान शिव और माता पार्वती को फल, फूल, मिठाई और वस्त्र अर्पित करती हैं। पूजा के अंत में वे शिव-पार्वती की आरती करती हैं और उनसे अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। पूजा के बाद महिलाएं दिन भर निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को पूजा के बाद ही भोजन ग्रहण करती हैं।

हरियाली तीज के उपहार और विशेष व्यंजन:

हरियाली तीज के अवसर पर महिलाएं एक-दूसरे को विशेष उपहार देती हैं जिनमें हरे रंग के वस्त्र, आभूषण, मिठाई और मेहंदी शामिल होती है। इस दिन विशेष प्रकार के व्यंजन भी बनाए जाते हैं जैसे कि घेवर, मालपुआ, पूड़ी और हलवा। इन व्यंजनों को महिलाएं मिल-बांटकर खाती हैं और तीज के त्योहार का आनंद लेती हैं।

हरियाली तीज और पर्यावरण संरक्षण:

हरियाली तीज का त्योहार पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन महिलाएं हरे रंग के वस्त्र पहनकर और वृक्षारोपण करके पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को व्यक्त करती हैं। इस दिन का मुख्य उद्देश्य न केवल धार्मिक महत्व को समझना है बल्कि पर्यावरण को भी संरक्षित करना है।

हरियाली तीज और सामाजिक संबंध:

हरियाली तीज का त्योहार महिलाओं के बीच सामाजिक संबंधों को मजबूत बनाने का भी एक माध्यम है। इस दिन महिलाएं अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर त्योहार मनाती हैं और एक-दूसरे के सुख-दुख में शामिल होती हैं। यह त्योहार महिलाओं के जीवन में खुशियों और उमंगों का संचार करता है और उन्हें एक-दूसरे के साथ बांधता है।