जब क्रोध आए, तो क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए | पंडित गौरांगी गौरी जी

जब क्रोध का आगोश हमें घेर लेता है, तो सही निर्णय लेना और स्थिति को संभालना बहुत महत्वपूर्ण होता है। हमारे समाज में पारंपरिक रूप से कहा जाता है कि कुछ भी हो, धैर्य बनाए रखना चाहिए और अपनी समस्याओं को साझा नहीं करना चाहिए। पुरानी माताएँ हमेशा यही मानती थीं कि घर की समस्याएँ घर में ही रहनी चाहिए। आज भी यह संस्कार भारत में प्रचलित है, लेकिन आधुनिक समय में हम अक्सर समस्या को दूसरों से साझा करने की प्रवृत्ति दिखाते हैं।

सहनशीलता और घरेलू समस्याएँ

पारंपरिक मान्यता के अनुसार, किसी भी समस्या को घर के भीतर ही सुलझाना चाहिए। यह आदत पुरानी माताओं की थी, जो घर की समस्याओं को बाहरी लोगों से छिपा कर रखने की सलाह देती थीं। इस दृष्टिकोण के अनुसार, छोटी-मोटी समस्याओं को लेकर किसी भी प्रकार की चर्चा करने की बजाय, हमें धैर्य रखना चाहिए और समस्याओं को घर के भीतर ही सुलझाना चाहिए। यह सुनिश्चित करता है कि घर की शांति बनी रहे और छोटी-छोटी बातों के कारण परिवार में विवाद न हो।

मोबाइल का उपयोग और उसकी संभावित समस्याएँ

आजकल, जब भी घर में कोई समस्या होती है, तो अक्सर लोग अपने मोबाइल फोन पर अपनी माँ या अन्य परिवार के सदस्यों से संपर्क करते हैं। यह एक सामान्य प्रवृत्ति है, लेकिन कभी-कभी इससे समस्या और बढ़ सकती है। फोन पर शिकायतें और समस्याएँ साझा करने से स्थिति और बिगड़ सकती है। इसके बजाय, जब क्रोध आए, तो बेहतर होता है कि मोबाइल को बंद कर दिया जाए और स्थिति को शांतिपूर्ण तरीके से संभालने की कोशिश की जाए।

संबंधों में धैर्य और समझ

घर के भीतर किसी भी विवाद या तनाव को लेकर धैर्य और समझ का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। जब हम छोटी-छोटी बातों को लेकर झगड़ते हैं और अपने रिश्तेदारों से शिकायत करते हैं, तो इससे स्थिति और बिगड़ती है। हमें अपने रिश्तों को सुधारने और उन्हें बनाए रखने के लिए धैर्य रखना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि घर में किसी से झगड़ा होता है, तो यह जरूरी नहीं कि इसे तुरंत बहस या झगड़े में बदल दें। कभी-कभी चुप रहना और भगवान की भक्ति में मन लगाना, स्थिति को शांत करने में सहायक हो सकता है।

सास और बहू के संबंध

कई बार परिवार में सास-बहू के रिश्तों में तनाव उत्पन्न होता है। यह सामान्य है कि परिवार के सदस्य कभी-कभी आपस में सहमत नहीं होते। लेकिन अगर हम सास या अन्य परिवार के सदस्यों की बातों को नजरअंदाज कर दें और केवल अपनी समस्या पर ध्यान केंद्रित करें, तो स्थिति और बिगड़ सकती है। जब हम अपने घर में रहते हैं, तो हमें यह समझना चाहिए कि सभी के साथ प्यार और सम्मान का व्यवहार करना चाहिए। अगर हमारी माँ या सास हमें डाँटती है, तो इसे एक साधारण पारिवारिक स्थिति के रूप में देखना चाहिए और इसे व्यक्तिगत न मानें।

सही समय पर सही निर्णय लेना

जब परिवार में किसी की मृत्यु होती है या कोई बड़ा संकट आता है, तो रिश्तों का महत्व और भी बढ़ जाता है। परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और समर्थन का महत्व तब और बढ़ जाता है। हालांकि, कभी-कभी हमें यह देखना चाहिए कि जब हमारे बीच किसी का निधन होता है, तब हम कितने संवेदनशील होते हैं और कितनी तत्परता से अपनी भावनाओं को साझा करते हैं।

संबंधित विषय

Pandit Gaurangi Gauri Ji

ये विडियो भी देखें
Video: लोग अहंकारी क्यों हो जाते हैं? | Pandit Gaurangi Gauri Ji

ये भी पढें

Daily Dhaarmi: Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 47