
भगवद्गीता अध्याय 9, श्लोक 22:
अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते | तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम् ||
अर्थ: जो लोग मुझे एकाग्रता से चिंतन करते हैं और निरंतर मेरी उपासना करते हैं, मैं उनके योग (प्राप्ति) और क्षेम (रक्षा) का भार स्वयं उठाता हूं।
जीवन के पाठ:
- एकाग्रता: जीवन में लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए एकाग्रता महत्वपूर्ण है।
- निरंतरता: सतत प्रयास और अध्यवसाय से ही सफलता मिलती है।
- विश्वास: ईश्वर में अटूट विश्वास रखें, वह हमारी रक्षा और कल्याण के लिए सदैव तत्पर हैं।
- समर्पण: सच्चे मन से किया गया समर्पण हमें जीवन की कठिनाइयों से उबार सकता है।