गंगोत्री, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित एक पवित्र तीर्थस्थल है। यह स्थल गंगा नदी के उद्गम स्थान के रूप में जाना जाता है, जहाँ गंगा का अवतरण भगवान शिव की जटाओं से हुआ था। गंगोत्री मंदिर और इसके आस-पास की धार्मिक धरोहरें, इसे चार धाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाती हैं। आइए, इस लेख में हम गंगोत्री यात्रा से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी पर एक नज़र डालते हैं।

ऐतिहासिक महत्व

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए गंगा नदी को पृथ्वी पर लाने के लिए तपस्या की थी। भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा को अपनी जटाओं में समाहित कर पृथ्वी पर अवतरित किया। इसी कारण गंगा को भागीरथी भी कहा जाता है।

गंगोत्री यात्रा की शुरुआत कब होती है?

गंगोत्री मंदिर दिवाली के बाद बंद हो जाता है और अक्षय तृतीया के दिन पुनः खुलता है। इस अवधि के दौरान देवी गंगा की मूर्ति को निकटवर्ती मुखबा गांव में ले जाया जाता है और वहीं पूजा की जाती है। इस प्रकार, गंगोत्री यात्रा हर वर्ष अप्रैल के अंत या मई के पहले सप्ताह में शुरू होती है। 2024 में गंगोत्री यात्रा 10 मई को शुरू हुई।

गंगोत्री कैसे पहुँचें?

गंगोत्री, उत्तरकाशी जिले में समुद्र तल से 3,100 मीटर (10,200 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है। गंगोत्री पहुँचने के लिए सबसे आम पड़ाव ऋषिकेश है।

दिल्ली से: दिल्ली से सड़क मार्ग से यात्रा करने पर, आप उत्तरकाशी के लिए बस बुक कर सकते हैं। यह बस ऋषिकेश, टिहरी होते हुए उत्तरकाशी पहुँचेगी। उत्तरकाशी से आप टैक्सी बुक कर गंगोत्री पहुँच सकते हैं।

मुंबई से: मुंबई से गंगोत्री पहुँचने का सबसे अच्छा विकल्प विमान है। मुंबई हवाई अड्डे से देहरादून के जॉली ग्रांट हवाई अड्डे तक की उड़ान लें। यहाँ से आप टैक्सी या बस के माध्यम से गंगोत्री पहुँच सकते हैं। आप ट्रेन से हरिद्वार तक यात्रा कर सकते हैं और फिर उपरोक्त मार्ग का पालन कर सकते हैं।

यात्रा के लिए पंजीकरण कैसे करें?

चार धाम यात्रा के किसी भी केंद्र की यात्रा में सामान्यतः 5-12 दिन लगते हैं। यात्रा के लिए पंजीकरण आवश्यक है। आप पंजीकरण और पर्यटक देखभाल की आधिकारिक वेबसाइट registrationandtouristcare.uk.gov.in पर जाकर पंजीकरण कर सकते हैं। पंजीकरण के लिए आपको कुछ व्यक्तिगत दस्तावेज और प्रोसेसिंग शुल्क जमा करना होगा। अपने पंजीकरण की प्रति डाउनलोड कर लें।

कितने तीर्थयात्री यात्रा करते हैं?

गंगोत्री की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है, जैसे मौसम, वर्ष के दिन, और अन्य परिस्थितियाँ। मई से जून के बीच अधिकतम तीर्थयात्री यात्रा करते हैं, जबकि अक्टूबर तक यह संख्या कम हो जाती है। औसतन, हर साल लगभग 3 लाख तीर्थयात्री गंगोत्री की यात्रा करते हैं।

गंगोत्री और आसपास के दर्शनीय स्थल

गंगोत्री का मुख्य आकर्षण गंगोत्री मंदिर है, जो हिंदू श्रद्धालुओं द्वारा पूजा जाता है। मंदिर गंगा नदी और हिमालय की पहाड़ियों से घिरा हुआ है। तीर्थयात्री यहाँ के अन्य दर्शनीय स्थलों का भी आनंद ले सकते हैं, जैसे:

गंगोत्री ग्लेशियर: यह भारत के सबसे सुंदर ग्लेशियरों में से एक है, जो चौखंबा पर्वत श्रंखला से शुरू होता है। गंगा नदी इसी ग्लेशियर से निकलती है और इसके जल में औषधीय गुण होते हैं।

सूर्य कुंड: गंगोत्री मंदिर से मात्र 500 मीटर की दूरी पर स्थित सूर्य कुंड एक सुंदर जलप्रपात है। यहाँ सुबह के समय पानी पर गिरती सूरज की किरणें इंद्रधनुष का निर्माण करती हैं।

गंगोत्री नेशनल पार्क: 2,390 वर्ग किमी में फैला यह नेशनल पार्क बर्फीले तेंदुए, भूरे भालू, काले भालू, और अन्य दुर्लभ प्रजातियों का घर है। गंगा नदी और गंगोत्री ग्लेशियर भी इसी पार्क में स्थित हैं।

गंगोत्री यात्रा न केवल धार्मिक महत्व की है, बल्कि यह प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक अनुभवों से भी भरपूर है। चार धाम यात्रा का हिस्सा होने के कारण, गंगोत्री हर हिंदू तीर्थयात्री के लिए एक महत्वपूर्ण गंतव्य है।