नवरात्रि में खेत्री स्थापना: जानें शुद्धता और पूजा की सही विधि

जय माता दी महारानी के सभी भक्तों से हमारा यह निवेदन है कि आप नवरात्रि के दौरान किसी भी शुद्ध पात्र का उपयोग करें—चाहे वह तांबे का हो, पीतल का हो, या मिट्टी का। कुंभ स्थापना के लिए शुद्ध स्नान ध्यान करके और शुद्ध वस्त्र धारण करके, एकाग्र चित्त होकर, अपने परिवार के साथ पंडित जी को बुलाकर या स्वयं भी स्थापना कर सकते हैं। आम्र तोरण और गंगाजल का उपयोग करें, और कुंभ में रेता, मिट्टी और गंगाजल मिलाकर कच्चे दूध से शुद्ध करें। इसके साथ पंचामृत भी तैयार करें, जिसमें पान के पत्ते, इलायची, जायफल रखें और नारियल पर मौली बांधकर उसे विधि अनुसार सजाएं। नौ देवियों का नाम लेते हुए मौली लपेटें, या “जय माता दी” कहते हुए मौली बांधें। एक भेंट के तौर पर 11 रुपये रख दें, और विसर्जन के दिन किसी कन्या का पैर धोकर उसे चुनरी ओढ़ाएं और दक्षिणा स्वरूप में उसे भेंट दें, जिससे आपका खजाना सदैव भरपूर रहेगा।

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पूरे नवरात्रि के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें और शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। घर में किसी प्रकार की अशुद्धता न होनी चाहिए। मासिक धर्म में हो रही महिलाओं को माता जी के पूजन से दूर रखें, क्योंकि उनकी पवित्रता हमारी पवित्रता का प्रतीक होती है। नवरात्रि के नौ दिनों में भगवती का पाठ, सिद्ध कुंजिका स्तोत्र, दुर्गा कवच, दुर्गा किलक और नवार्ण मंत्र का जप अवश्य करें, जिससे आपके जीवन में मंगलमय परिवर्तन होगा और नाना प्रकार की व्याधियों, रोगों और शत्रुओं का नाश होगा। भगवती की पूजा से परम शांति और सुख की प्राप्ति होती है, और यदि आपने विधिपूर्वक खेत्री और कलश की स्थापना कर ली तो संसार की कोई भी शक्ति आपको किसी कार्य में असफल नहीं कर सकती।

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भगवती दुर्गा ने शुंभ, निशुंभ और रक्तबीज जैसे दुष्टों का संहार करके धर्म की स्थापना की थी। जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवती का अवतरण होता है। प्रभु श्रीराम भी धर्म की रक्षा के लिए रावण का संहार कर विजय प्राप्त करके अयोध्या लौटे थे। इसी प्रकार, खेत्री का पूजन और उसकी स्थापना करने से आप अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सफलता की प्राप्ति करेंगे। अष्टमी या नवमी को पूजन कर विसर्जन की परंपरा होती है, और दशमी के दिन विशेष रूप से विजय प्राप्ति के लिए खेत्री का पूजन किया जाता है।

विद्यार्थी इस दिन पुस्तकों का पूजन भी करते हैं, जिससे उनकी विद्या में वृद्धि होती है। अगर आप इस विधि का पालन करते हैं, तो निश्चय ही आपके जीवन में मंगलमय परिवर्तन आएगा और सत्य सनातन धर्म की पुनः स्थापना होगी। भगवती दुर्गा के 32 नाम, सिद्ध कुंजिका स्तोत्र, दुर्गा कवच और दुर्गा किलक का नियमित पाठ करने से आप परम सुख और शांति का अनुभव करेंगे।