हरियाली तीज: सोलह श्रृंगार और उत्सव का पारंपरिक संगम

हरियाली तीज भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो खासकर उत्तर भारत में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जब प्रकृति में हरियाली छाई होती है, इसलिए इसे हरियाली तीज कहा जाता है। इस दिन महिलाएँ विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और अपने सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं।

हरियाली तीज का उत्सव

हरियाली तीज मुख्य रूप से सुहागिन महिलाओं का त्योहार है, लेकिन कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को रखती हैं। इस दिन महिलाएँ सजती-संवरती हैं, सुंदर कपड़े पहनती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं। इसके अलावा, महिलाएँ झूले डालती हैं, सावन के गीत गाती हैं, और पारंपरिक नृत्य करती हैं। इस दिन की खासियत यह है कि महिलाएँ पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और रात को चंद्रमा को देखकर व्रत तोड़ती हैं।

सोलह श्रृंगार का महत्व

हरियाली तीज के दिन सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व है। सोलह श्रृंगार भारतीय परंपरा में नारी के सजने-संवरने का प्रतीक है, जिसमें महिला को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। ये सोलह श्रृंगार न केवल महिलाओं की सुंदरता को निखारते हैं, बल्कि उनके स्वास्थ्य और खुशहाली के प्रतीक भी माने जाते हैं। आइए जानते हैं कि सोलह श्रृंगार में क्या-क्या आता है:

  1. बिंदी: बिंदी को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। यह माथे पर बीच में लगाई जाती है, और इसे लगाने से चेहरे की सुंदरता में निखार आता है।
  2. सिंदूर: सिंदूर विवाहित महिलाओं के लिए अनिवार्य है। इसे मांग में भरा जाता है और यह सुहागिन महिला के वैवाहिक जीवन के संकेत के रूप में देखा जाता है।
  3. मांग टीका: मांग टीका बालों के बीच में लगाया जाता है। यह श्रृंगार का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे माथे की शोभा बढ़ाने के लिए पहना जाता है।
  4. काजल: काजल आंखों की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए लगाया जाता है। यह आँखों को बड़ी और आकर्षक दिखाने में मदद करता है।
  5. गजरा: गजरा फूलों की माला होती है, जो बालों में सजाई जाती है। यह सुगंधित होता है और महिलाओं की खूबसूरती को निखारता है।
  6. नथ: नथ या नथनी नाक में पहना जाने वाला आभूषण है। यह पारंपरिक भारतीय आभूषणों में से एक है, जो महिलाओं की सुंदरता में चार चाँद लगाता है।
  7. झुमके: झुमके या कान के बालियाँ कानों में पहने जाते हैं। यह न केवल कानों को सजाता है, बल्कि चेहरे की सुंदरता को भी बढ़ाता है।
  8. हार या नेकलेस: हार या नेकलेस गले में पहना जाता है। यह श्रृंगार का महत्वपूर्ण हिस्सा है और विभिन्न धातुओं और रत्नों से बना हो सकता है।
  9. बाजूबंद: बाजूबंद बाहों पर पहना जाता है। यह आभूषण पारंपरिक भारतीय पहनावे का हिस्सा है और इसे बाहों की शोभा बढ़ाने के लिए पहना जाता है।
  10. चूड़ियाँ: चूड़ियाँ हाथों में पहनी जाती हैं और यह सुहाग का प्रतीक मानी जाती हैं। चूड़ियों का खनक महिलाओं की सुंदरता को और बढ़ा देता है।
  11. अंगूठी: अंगूठी उँगलियों में पहनी जाती है और यह वैवाहिक जीवन का संकेत मानी जाती है। यह महिलाओं की उंगलियों को सजाती है।
  12. करधनी: करधनी कमर में पहनी जाती है और इसे कमरबंद भी कहा जाता है। यह श्रृंगार का अहम हिस्सा है और कमर को आकर्षक बनाने के लिए पहनी जाती है।
  13. पायल: पायल पैरों में पहनी जाती है और यह श्रृंगार का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके खनक से वातावरण में राग की ध्वनि गूंज उठती है।
  14. बिछिया: बिछिया पैरों की उंगलियों में पहनी जाती है और यह विवाहित महिलाओं का एक आवश्यक आभूषण है। इसे पहनने से स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं।
  15. महावर: महावर या आलता पैरों और हाथों में लगाया जाता है। यह पैरों की सुंदरता को निखारता है और पारंपरिक पहनावे का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  16. परफ्यूम: परफ्यूम या इत्र शरीर को महकाने के लिए उपयोग किया जाता है। इसे शरीर पर छिड़कने से आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है और यह महिलाओं के श्रृंगार का अंतिम हिस्सा है।

हरियाली तीज के अनुष्ठान और परंपराएँ

हरियाली तीज के दिन महिलाएँ सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और नए वस्त्र धारण करती हैं। इसके बाद वे शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। इस दिन हरे रंग के वस्त्र पहनने का विशेष महत्व है, क्योंकि हरा रंग हरियाली और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

महिलाएँ इस दिन उपवास रखती हैं और पूजा के दौरान तीज माता की कथा का श्रवण करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से विवाहिता महिलाओं का वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और कुंवारी कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है।

तीज के गीत और नृत्य

हरियाली तीज के अवसर पर महिलाएँ पारंपरिक तीज के गीत गाती हैं और झूले पर झूलती हैं। सावन के इस सुहाने मौसम में, तीज के गीतों की मधुरता और झूलों की मस्ती में महिलाएँ खो जाती हैं। ये गीत और नृत्य न केवल मनोरंजन का माध्यम होते हैं, बल्कि उनमें सामाजिक और सांस्कृतिक संदेश भी छिपे होते हैं।

तीज का पारंपरिक भोजन

हरियाली तीज के अवसर पर विभिन्न प्रकार के पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं। विशेष रूप से घेवर, मालपुआ, पूड़ी, सब्जी और अन्य मिठाइयाँ इस दिन के खास भोजन का हिस्सा होती हैं। व्रत के बाद महिलाएँ इन व्यंजनों का आनंद लेती हैं।

आधुनिक युग में हरियाली तीज

आज के आधुनिक समय में भी हरियाली तीज का महत्त्व कायम है। हालांकि, समय के साथ इसमें कुछ बदलाव आए हैं, लेकिन इसके मूल तत्व आज भी वही हैं। महिलाएँ आज भी इस दिन को बहुत धूमधाम से मनाती हैं, चाहे वह गांव हो या शहर।