श्री कृष्ण की रक्षा का दायित्व किसका था? | श्री विमल चैतन्य जी महाराज

कंस ने कहा, “इसे क्या कहा जाए? आठवें में जब बेटी का जन्म हुआ, तो जैसे ही कंस को इस खबर की जानकारी मिली, वह तुरंत सिंहासन छोड़कर कारागृह की ओर दौड़ा। भागते-भागते वह देवकी के पास पहुंचा और कहा, ‘बहन, तुझे बेटा होना था, ये बेटी कैसे हो गई? इसमें जरूर विष्णु का कोई छल है। मुझे ये बेटी दे।’

जैसे ही उसने देवकी के हाथ से बेटी को छीना और पत्थर पर पटकने का प्रयास किया, तभी वह बेटी उसके हाथ से फिसल गई और अनंत आकाश में जाकर अष्टभुजी दुर्गा का रूप धारण कर लिया। दुर्गा रूप में देवी ने कहा, ‘दुष्ट कंस, तुम मुझे क्या मारोगे? तुमने निरपराध बच्चों की हत्या की है, इसका फल तुम्हें अवश्य मिलेगा।’ देवी दुर्गा ने कहा, ‘तुझे मारने वाला इस पृथ्वी पर जन्म ले चुका है, और अब वह तुझे नहीं छोड़ेगा।’ यह कहकर देवी दुर्गा विंध्याचल में जाकर विराजमान हो गईं और सारी दुर्गति का हरण करने लगीं।