संकट में सिर्फ भगवान ही साथी: एक प्रेरणादायक कथा | पूज्य रश्मि मिश्रा जी

इसलिए कहा जाता है कि संकट के समय कोई भी सहायता नहीं कर सकता, केवल भगवान के अलावा। एक कथा बताई जाती है जिसमें एक मनुष्य की चार पत्नियाँ थीं। वह अपनी सबसे बड़ी पत्नी को छोड़कर बाकी तीन पत्नियों से अत्यधिक प्रेम करता था, बिना उनके एक पल भी नहीं रह सकता था। हालाँकि, उसकी बड़ी पत्नी उससे प्रेम करती थी, लेकिन वह उसे नज़रअंदाज़ करता था।

जब उस व्यक्ति का अंत समय करीब आया और वह बीमार पड़ गया, तब उसने अपनी सबसे छोटी पत्नी से कहा, “देवी, मेरा अंत समय आ गया है। क्या तुम मेरे साथ चलोगी?” उस पत्नी ने जवाब दिया, “महाराज, मेरी उम्र अभी क्या है? मैं फिर से शादी कर लूंगी। मैं आपके साथ नहीं जा सकती।” फिर उसने अपनी दूसरी पत्नी से पूछा। उसने कहा, “महाराज, यहां तक तो साथ दिया है, लेकिन अब आगे नहीं दे पाऊंगी।” तीसरी पत्नी ने भी वही कहा, “महाराज, अब मैं आपका साथ नहीं दे सकती। मेरी उम्र अभी बहुत है और मुझे संसार में बहुत कुछ देखना है।”

तभी एक कोने में खड़ी उसकी पहली पत्नी, जिसे वह कभी प्यार नहीं करता था, ने कहा, “स्वामी, चाहे कोई साथ दे या न दे, मैं आपके साथ जरूर चलूंगी।”

यह कथा जीवन की सच्चाई को दर्शाती है। चार पत्नियां कुछ और नहीं बल्कि हमारी संपत्ति, धन, पद, और रिश्ते हैं, जो अंत समय पर हमारे साथ नहीं जाते। लेकिन पहली पत्नी आत्मा है, जो हमेशा हमारे साथ रहती है, और वही अंत समय तक साथ देती है।

जैसे गज ने भी चारों ओर से उम्मीदें टूट जाने के बाद भगवान पर विश्वास किया, वैसे ही हमें भी अपने विश्वास को मजबूत करना चाहिए। जैसे द्रौपदी ने अंत समय में अपने पति और समाज पर विश्वास खोने के बाद भगवान कृष्ण का स्मरण किया, और उनकी लज्जा को बचाया गया। जब सभी सहायता समाप्त हो जाती है, तब केवल भगवान ही हैं जो हमारी मदद करते हैं। इसलिए, जीवन में सच्चा विश्वास भगवान पर ही होना चाहिए।