चरणों की परीक्षा: हनुमानजी की भक्ति और उनकी शक्ति | एक अद्भुत कथा | कौशिक जी महाराज

हनुमानजी की भक्ति और उनकी शक्ति की कहानियाँ भारतीय पौराणिक साहित्य में अमूल्य हैं। उनकी भक्ति और समर्पण की कई कहानियाँ हमें प्रेरित करती हैं। एक विशेष कथा, जो हमें हनुमानजी की शक्ति और उनकी अद्वितीय भक्ति की ओर ले जाती है, वह है ‘सुकट की रक्षा’ की कहानी। इस कथा में हम देखेंगे कि कैसे हनुमानजी ने अपने वचन को पूरा किया और अपनी भक्ति का प्रमाण प्रस्तुत किया।

कथा का प्रारंभ

कथा का आरंभ उस समय होता है जब हनुमानजी की माँ ने उन्हें एक कठिन कार्य सौंपा। माँ ने कहा, “हे हनुमान, यह सुकट एक बहुत ही भले और सीधे व्यक्ति हैं। वे काशी के राजा विश्वनाथ के परम भक्त हैं और राम के भी अटूट भक्त हैं। राम ने सुकट के प्राण लेने की सौगंध खाई है, और मैंने अपने हनुमान को इनके प्राणों की रक्षा के लिए वचन दिया है। तुम्हें यह वचन पूरा करना होगा और राम के बाण से सुकट को बचाना होगा।”

हनुमानजी ने इस कठिन कार्य को स्वीकार कर लिया। उन्होंने कहा, “माँ, संजीवनी लेने का कार्य भी इतना कठिन नहीं था, जितना कि तुमने यह कार्य बताया है। लेकिन तुम्हारे आशीर्वाद से ही यह संभव हो सकता है।” हनुमानजी ने सुकट को लेकर अयोध्या की ओर यात्रा की और उनकी रक्षा के लिए प्रार्थना की।

सुकट की रक्षा

हनुमानजी ने अयोध्या में पहुँचकर सुकट को सरयू नदी में उतारा और राम के नाम का कीर्तन करने लगे। “श्री राम जय राम जय जय राम” का जाप करते हुए, सुकट ने आनंदित होकर नृत्य किया। इसी बीच, राम ने अपने बाण को सुकट की ओर चलाया, लेकिन वह बाण हनुमानजी की कीर्तन से प्रभावित होकर लौट गया और राम के तरकस में समा गया।

रामजी ने देखा कि उनका बाण खाली चला गया और आश्चर्यचकित हुए। उन्होंने एक दूसरा बाण छोड़ा, लेकिन वही परिणाम रहा। फिर उन्होंने तीसरा बाण छोड़ा, लेकिन वह भी सुकट को छूने के बजाय लौट गया। रामजी ने सोचा कि कोई विशेष शक्ति है जो सुकट को बचा रही है। उन्होंने अपने गुरु वशिष्ठजी को बुलाया, जिन्होंने समझाया कि हनुमानजी और नारदजी ने मिलकर राम के नाम का प्रचार करने के लिए यह व्यवस्था की है।

हनुमानजी की विनती

हनुमानजी ने रामजी से दो वरदान माँगे। पहले वरदान में, हनुमानजी ने माँगा कि जो व्यक्ति राम के नाम का कीर्तन करेगा, उसके प्राणों की रक्षा के लिए वह स्वयं कवच बन जाए। दूसरे वरदान में, हनुमानजी ने माँगा कि राम का बाण भी उस व्यक्ति के प्राणों को नहीं ले सके। रामजी ने इन वरदानों को स्वीकार कर लिया और हनुमानजी की भक्ति और स्नेह की सराहना की।

हनुमान चालीसा का प्रभाव

हनुमानजी की भक्ति की इस कथा से हमें यह सीखने को मिलता है कि उनकी भक्ति और उनका नाम हमारे जीवन को हर प्रकार के संकट से बचा सकता है। हनुमान चालीसा, जो गोस्वामी तुलसीदासजी ने लिखा था, इस भक्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हमें यह सिखाती है कि हनुमानजी की पूजा और उनके नाम का जाप जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर कर सकता है और हमें शक्ति और सुरक्षा प्रदान कर सकता है।

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