भटकते जीवन को सही दिशा कैसे मिलती है? | भास्करानंद जी महाराज

हमारा जीवन भी एक यात्रा की तरह होता है, जहाँ हम अक्सर रास्ता खो देते हैं और भ्रमित हो जाते हैं। हम कई तरह की चुनौतियों और अनिश्चितताओं का सामना करते हैं। लेकिन जब कोई सदगुरु (सच्चा आध्यात्मिक गुरु) हमें मिलता है, तभी हमें सही दिशा और उद्देश्य मिलता है। जैसे महान संतों ने अपने अनुभव और ज्ञान से हमें मार्ग दिखाया है, वैसे ही एक गुरु की शिक्षाएँ हमें सही रास्ते पर ले जाती हैं।

इस बात को मीराबाई और सहजाबाई जैसी संतों की कहानियों में देखा जा सकता है। मीराबाई, भगवान कृष्ण की परम भक्त थीं, जिन्होंने अपनी अनंत श्रद्धा और भक्ति के बल पर जीवन की कठिनाइयों को पार किया। इसी तरह, सहजाबाई भी सदगुरु चरणदास की शिष्या थीं, जिन्होंने अपने गुरु से मंत्र प्राप्त कर अपने जीवन में स्थिरता और शांति पाई।

सहजाबाई ने अपनी भटकन के बारे में लिखा है कि वह भी जीवन में बहुत भटकती रही थीं। लेकिन जब उन्हें उनके सदगुरु मिले और उन्होंने मंत्र प्रदान किया, तब उनके जीवन में शांति और ठहराव आ गया। वह कहती हैं कि उस मंत्र के प्रभाव से उनके जीवन का हर भटकाव समाप्त हो गया।

बहुत से लोग सोचते हैं कि बिना गुरु के भी वे आध्यात्मिक मार्ग पर सफल हो सकते हैं। लेकिन यह सफलता उन लोगों के लिए होती है जिनकी पूर्व जन्मों में साधना हो चुकी होती है। अध्यात्म के क्षेत्र में भी पूर्व जन्मों की साधना महत्वपूर्ण होती है। यदि हमारे पिछले जन्मों की साधना नहीं है, तो हमें गुरु की आवश्यकता होती है। गुरु हमें वह ज्ञान और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं जो हमें शास्त्रों और जीवन के सही अर्थ को समझने में मदद करता है।

महाभारत में एक प्रसिद्ध प्रसंग है, जिसमें यक्ष और युधिष्ठिर का संवाद आता है। जब पांडव वनवास में थे, तब एक दिन युधिष्ठिर के चारों भाई एक तालाब से पानी लेने गए, लेकिन एक के बाद एक, वे सभी बेहोश होकर गिर गए। अंत में युधिष्ठिर खुद पानी लेने पहुंचे और देखा कि उनके चारों भाई तालाब के किनारे मरे पड़े थे। तभी एक यक्ष प्रकट हुआ और उसने युधिष्ठिर से प्रश्न पूछने की शर्त पर पानी पीने की अनुमति दी। यक्ष ने कई प्रश्न पूछे, जिनमें से एक प्रश्न यह था कि सही मार्ग क्या है?

युधिष्ठिर ने उत्तर दिया कि मार्ग तो कई लोग बताते हैं, लेकिन सत्य यह है कि महापुरुषों का अनुसरण ही सही मार्ग है। शास्त्रों और पुराणों में भी यही सिखाया जाता है कि जब तक हम किसी महापुरुष के मार्गदर्शन में नहीं चलते, तब तक हम सच्चे आध्यात्मिक मार्ग पर नहीं चल सकते।

यह प्रसंग हमें यह सिखाता है कि जीवन में सही मार्ग की पहचान करना मुश्किल होता है। कई लोग हमें मार्ग दिखाने का दावा करते हैं, लेकिन सच्ची दिशा एक सदगुरु ही दिखा सकता है। वह हमें जीवन के गूढ़ और छिपे हुए सत्य को समझने में मदद करता है और हमारी आत्मा की शांति और मुक्ति की ओर ले जाता है।

इस प्रकार, गुरु का महत्व हमारे जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। बिना गुरु के हम जीवन की यात्रा में भटक सकते हैं, लेकिन एक सच्चे गुरु के मार्गदर्शन में हम सही दिशा पा सकते हैं और आध्यात्मिक प्रगति कर सकते हैं।

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