गुरुमुख से मंत्र प्राप्ति की अनिवार्यता: क्या है असली सत्य? | पी. गिरिबापू

मुझे जो कहा गया, वह सुनने में अच्छा लगा, लेकिन पूरी तरह से सही नहीं लगा। उन्होंने कहा कि पंचाक्षर मंत्र को किसी को भी नहीं जपना चाहिए, केवल गुरुमुख से ही इसे प्राप्त करना चाहिए और विशेष विधि के अनुसार इसका जाप करना चाहिए। लेकिन इसमें एक महत्वपूर्ण बात यह भी कही गई कि जिन लोगों ने सदगुरु से मंत्र नहीं लिया है, वे संपूर्ण अशुद्ध या आचार्यहीन भी हों, फिर भी पंचाक्षर मंत्र उनके लिए निष्फल नहीं होता।

भगवान व्यास जी ने शिव महापुराण में कहा है कि मंत्र का स्वभाव ही ऐसा होता है कि वह कभी निष्फल नहीं होता, चाहे वह किसी भी परिस्थिति में किया जाए। मंत्र जाप करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है, चाहे वह विद्या, धन, संतान, या मानसिक शांति की कामना हो। इसलिए विष्णु भगवान ने भी नारद जी से कहा कि मन को शांत करने में मंत्र का जाप बड़ा सहयोगी रहता है। पंचाक्षर मंत्र का जाप सर्वसिद्धि देने वाला माना गया है, और सिद्धि का अर्थ जादू या टोना नहीं, बल्कि जीवन में सही सोच, उग्र बुद्धि, और मानसिक स्थिरता है। इसलिए, पंचाक्षर मंत्र का जाप करना किसी भी स्थिति में लाभकारी होता है, भले ही इसे विधि के अनुसार किया गया हो या नहीं।

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