“श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी” भजन भगवान कृष्ण को समर्पित एक भक्ति गीत है, जो भगवान विष्णु के अवतार हैं। इस भजन के बोल भगवान कृष्ण की प्रशंसा करते हैं, उनके विभिन्न नामों और गुणों का आह्वान करते हैं। यहां भजन का संक्षिप्त अर्थ है:

  • श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी: इस पंक्ति में भगवान कृष्ण की प्रशंसा की गई है, उन्हें गोविंद (जो इंद्रियों और गायों को आनंद देते हैं) और मुरारी (राक्षस मुरा के शत्रु) के रूप में संबोधित किया गया है।
  • हे नाथ नारायण वासुदेवा: यहां, कृष्ण को नाथ (स्वामी), नारायण (विष्णु का एक नाम, जिसका अर्थ है हर किसी के हृदय में निवास करने वाला), और वासुदेवा (वासुदेव के पुत्र, अर्थात् कृष्ण) के रूप में संबोधित किया गया है।
  • एक मात स्वामी सखा हमारे: इस पंक्ति में भगवान कृष्ण को एकमात्र माँ, स्वामी और मित्र के रूप में व्यक्त किया गया है।
  • आजा नबी नवल किशोर रस खान: यह युवा और मनोहर भगवान कृष्ण को भक्त की उपस्थिति में आने का आह्वान है।

श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी lyrics

श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा

एक मात स्वामी सखा हमारे हे नाथ नारायण वासुदेवा

श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा

आजा नबी नवल किशोर रसखान तुमको लाज किसी की नहीं आई जिसको देखने गए थे तुम वो तो घर में ही तुम्हारे आई तुम्हारे दर्शन की बेला जी ओ बिरज के दाता दर्शन की बेला सजीवन दर्शन दीजो जी

जय देव, जय देव, जय देव, जय देव

श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा

एक मात स्वामी सखा हमारे हे नाथ नारायण वासुदेवा

श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा