नवरात्रि के व्रत में क्या न करें: जानिए पूजा और व्रत के सही नियम

नवरात्रि के दौरान भक्त अपनी श्रद्धा और भक्ति से मां दुर्गा का आह्वान करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। नवरात्रि के दौरान पूजा, व्रत और अन्य धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। लेकिन इन अनुष्ठानों के साथ कुछ ऐसे महत्वपूर्ण नियम और परंपराएं भी होती हैं जिनका पालन करना आवश्यक है। नवरात्रि के दौरान क्या करना चाहिए, इस पर तो सबका ध्यान रहता है, लेकिन जो नहीं करना चाहिए, उस पर भी ध्यान देना उतना ही आवश्यक है। आइए जानते हैं नवरात्रि के दौरान कौन-कौन सी चीज़ें करने से बचना चाहिए:

1. क्रोध और नकारात्मक भावनाओं से दूर रहें

नवरात्रि आत्मशुद्धि और मन की शांति का समय होता है। इस समय क्रोध, घृणा, जलन और अन्य नकारात्मक भावनाओं से बचना चाहिए। इन नौ दिनों में हर रोज़ पूजा और ध्यान के जरिए आत्मिक उन्नति और मानसिक शांति की प्राप्ति का उद्देश्य होता है। नकारात्मक भावनाएं आपके आध्यात्मिक अभ्यास को कमजोर कर सकती हैं और आपको मां दुर्गा की कृपा से वंचित कर सकती हैं। इसलिए, शांतिपूर्ण और सकारात्मक मानसिकता बनाए रखना आवश्यक है।

2. शराब और मांसाहार का सेवन न करें

नवरात्रि के दौरान शराब और मांसाहार का सेवन पूरी तरह से वर्जित माना जाता है। यह पर्व शुद्धता, संयम और आत्मसंयम का प्रतीक है, इसलिए शराब और मांसाहार का सेवन अशुद्धता के रूप में देखा जाता है। नवरात्रि के दौरान शरीर और मन को शुद्ध रखने के लिए सात्विक भोजन का पालन किया जाता है। मांसाहारी भोजन और नशे की वस्तुएं हमारी आत्मिक ऊर्जा को प्रभावित करती हैं, जिससे पूजा और ध्यान में एकाग्रता की कमी हो सकती है।

3. बाल कटवाना और शेविंग करना न करें

नवरात्रि के दौरान बाल कटवाना, शेविंग करना, और यहां तक कि नाखून काटना भी अशुभ माना जाता है। इस समय को पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है, और शरीर की शुद्धता को बनाए रखना एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। बाल और नाखून काटना पारंपरिक रूप से अस्वीकृत है क्योंकि इसे अशुद्धता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए इस समय अपने शरीर को स्वाभाविक रूप से उसी अवस्था में रखना चाहिए।

4. किसी भी तरह की कलह से बचें

नवरात्रि का समय आध्यात्मिक शांति और संतुलन का होता है। इस समय घर में शांति बनाए रखना जरूरी है। किसी भी प्रकार की घरेलू कलह या लड़ाई नवरात्रि की पवित्रता को भंग कर सकती है। घर का माहौल शांतिपूर्ण और सकारात्मक होना चाहिए ताकि मां दुर्गा की कृपा बनी रहे। क्रोध, कलह और मनमुटाव से बचना चाहिए, क्योंकि इससे आपकी आध्यात्मिक साधना में बाधा आ सकती है।

5. नवरात्रि में सोने से बचें

नवरात्रि के दौरान दिन में सोना भी अनुचित माना जाता है। इसे आलस्य का प्रतीक माना जाता है और इसका प्रभाव आपके आध्यात्मिक अभ्यास पर नकारात्मक रूप से पड़ सकता है। ऐसा माना जाता है कि दिन में सोने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त नहीं होती। इसलिए इस समय को जागरूकता और ध्यान में बिताने की सलाह दी जाती है। इसके बजाय, पूजा, ध्यान, भजन-कीर्तन और धर्म-कर्म में समय बिताना शुभ माना जाता है।

6. व्रत तोड़ने के नियमों का उल्लंघन न करें

व्रत रखना नवरात्रि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन कई बार लोग व्रत के नियमों का उल्लंघन करते हैं। अगर आपने व्रत रखा है, तो सुनिश्चित करें कि आप पूरे नियमों का पालन करें। व्रत तोड़ने के समय पर विशेष ध्यान दें और सटीक समय पर ही फलाहार या अन्न ग्रहण करें। यदि आप व्रत के बीच में अनियमित रूप से भोजन करते हैं या अनुचित आहार लेते हैं, तो इससे व्रत की पवित्रता भंग हो सकती है।

7. धार्मिक अनुष्ठानों को हल्के में न लें

नवरात्रि के दौरान पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों को पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ करना चाहिए। कई लोग इसे केवल एक औपचारिकता के रूप में लेते हैं, लेकिन यह समय मां दुर्गा की आराधना और आशीर्वाद प्राप्त करने का है। अगर आप पूजा कर रहे हैं, तो इसे जल्दबाज़ी या आधे मन से न करें। पूजा में पूरा मन लगाएं और मां दुर्गा का आह्वान पूरी निष्ठा के साथ करें। अनुष्ठान को सही विधि और नियमों के अनुसार करना जरूरी है ताकि उसका पूरा फल प्राप्त हो सके।

8. नवरात्रि के दौरान अनैतिक कार्य न करें

नवरात्रि के दौरान किसी भी प्रकार के अनैतिक कार्यों, जैसे कि झूठ बोलना, चोरी करना, किसी का अपमान करना आदि से बचना चाहिए। यह समय नैतिकता और सदाचरण का होता है। अगर आप अनैतिक कार्यों में लिप्त होते हैं, तो यह आपके आध्यात्मिक विकास में बाधा डाल सकता है। मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए ईमानदारी, सत्यता और सदाचरण को अपनाना आवश्यक है।

9. अधूरे व्रत और पूजा से बचें

अगर आपने व्रत रखने का संकल्प लिया है, तो उसे बीच में छोड़ना या अधूरा करना अनुचित माना जाता है। व्रत और पूजा के संकल्प को पूरी श्रद्धा और धैर्य के साथ पूरा करना चाहिए। अधूरे व्रत और अधूरी पूजा का फल नहीं मिलता, और यह आपकी भक्ति के मार्ग में बाधा उत्पन्न कर सकता है। इसलिए, अगर आप नवरात्रि के दौरान व्रत और पूजा कर रहे हैं, तो उन्हें पूरी निष्ठा के साथ संपन्न करें।

10. बेड और सोफे पर न सोएं

नवरात्रि के दौरान भक्तों को जमीन पर सोने की सलाह दी जाती है। इसे तपस्या और संयम का प्रतीक माना जाता है, जिससे शरीर और मन दोनों की शुद्धि होती है। आरामदायक बिस्तर या सोफे पर सोना नवरात्रि के संयम और तपस्या के मूल्यों के विपरीत है। इसलिए, इस समय साधारण और शुद्ध जीवनशैली अपनाने की कोशिश करें।

11. अस्वच्छता से दूर रहें

नवरात्रि के दौरान शारीरिक और मानसिक शुद्धता अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है। इस समय नियमित रूप से स्नान करें, स्वच्छ कपड़े पहनें, और पूजा स्थल को साफ रखें। स्वच्छता से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और अशुद्धता से बचा जाता है। अशुद्धता न केवल शरीर बल्कि मन की भी हो सकती है, इसलिए अपने विचारों और कर्मों को भी शुद्ध रखें।

12. भोग में लहसुन और प्याज का प्रयोग न करें

नवरात्रि के दौरान भोग और प्रसाद में लहसुन और प्याज का प्रयोग वर्जित होता है। यह तामसिक भोजन माने जाते हैं, जो आत्मा और शरीर की शुद्धता को प्रभावित करते हैं। इस समय सात्विक आहार का पालन करना चाहिए, जिसमें शुद्ध और पौष्टिक सामग्री का प्रयोग हो। सात्विक भोजन शरीर और मन को शुद्ध रखने में सहायक होता है, जिससे पूजा का पूरा लाभ प्राप्त होता है।