नवरात्रि का दूसरा दिन: ब्रह्मचारिणी (तपस्या की देवी) की आराधना और भोग का महत्व

नवरात्रि का दूसरा दिन कौन सा है?

इस बार नवरात्रि का दूसरा दिन 2 अक्टूबर को है | नवरात्रि का दूसरा दिन “ब्रह्मचारिणी” के नाम से जाना जाता है। यह दिन देवी दुर्गा के दूसरे रूप की पूजा के लिए समर्पित है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ है “जो तप और संयम की देवी हैं”। इस दिन भक्तजन देवी से शक्ति और आत्म-नियंत्रण की प्रार्थना करते हैं।

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नवरात्रि का दूसरा दिन: ब्रह्मचारिणी का महत्व

नवरात्रि का पर्व देवी दुर्गा की पूजा का एक महत्वपूर्ण अवसर है, जिसमें भक्तजन नौ दिनों तक विभिन्न रूपों में माता की आराधना करते हैं। नवरात्रि का दूसरा दिन विशेष रूप से देवी ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है। इस लेख में हम नवरात्रि के दूसरे दिन के महत्व, पूजा विधि, भोग, और ब्रह्मचारिणी की कथा के बारे में विस्तार से जानेंगे।

नवरात्रि के दूसरे दिन का महत्व

ब्रह्मचारिणी का स्वरूप तपस्विनी और साधिका का होता है। यह देवी ज्ञान और तपस्या की प्रतीक हैं। इस दिन की पूजा करने से भक्तजन मानसिक शांति, आत्म-विश्वास, और समर्पण प्राप्त करते हैं। यह दिन हमें सिखाता है कि कठिनाइयों का सामना करने के लिए संयम और तपस्या आवश्यक हैं। ब्रह्मचारिणी की आराधना से व्यक्ति को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने जीवन में किसी विशेष उद्देश्य को प्राप्त करना चाहते हैं।

नवरात्रि के दूसरे दिन माता को क्या भोग लगे?

नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी को विशेष भोग अर्पित किए जाते हैं। इस दिन आमतौर पर फल, दूध, दही, शहद, और मीठे पकवानों का भोग लगाया जाता है। इन भोगों को श्रद्धा और भक्ति के साथ अर्पित करना चाहिए। भोग अर्पित करने से पहले माता की प्रतिमा या चित्र को अच्छे से स्नान कराकर उन्हें नए वस्त्र पहनाए जाते हैं। इसके बाद भोग अर्पित किया जाता है और आरती की जाती है।

ब्रह्मचारिणी की कथा

ब्रह्मचारिणी देवी की कथा हमें यह सिखाती है कि कठिनाइयों से कैसे पार पाया जाए। कहा जाता है कि एक समय पर जब देवताओं ने असुरों से परेशान होकर भगवान शिव की आराधना की, तब उन्होंने तपस्या करने का निर्णय लिया। तपस्या के दौरान, देवी पार्वती ने कठोर साधना की। उन्होंने कई वर्षों तक केवल फल-फूल खाकर और अंत में केवल सूखे पत्ते खाकर तप किया। उनकी इस कठोर तपस्या को देखकर भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने उन्हें दर्शन दिए। भगवान शिव ने पार्वती जी से कहा कि उनकी तपस्या सफल होगी और वे उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करेंगे। इस प्रकार, देवी पार्वती ने अपनी तपस्या से ब्रह्मचारिणी रूप में भगवान शिव को प्रसन्न किया।

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नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि:

नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दिन व्रती सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनते हैं और पूजन स्थल पर मां ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करते हैं। मां को सफेद फूल, अक्षत, चंदन, और मिठाई चढ़ाई जाती है। पंचोपचार या षोडशोपचार विधि से पूजन कर, दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है। मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर और मिश्री अर्पित करना शुभ माना जाता है, जिससे मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।

नवरात्रि के दूसरे दिन कौन से रंग के कपड़े पहने चाहिए?

नवरात्रि के दूसरे दिन का रंग हरा होता है। हरा रंग विकास, नई शुरुआत और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इस दिन हरे रंग के कपड़े पहनने से सकारात्मकता बढ़ती है और मन में उत्साह बना रहता है।