विधि है गागर में सागर को भर देना – कलयुग की कथा संक्षिप्तता | पूज्या रश्मि मिश्रा जी

आज के समय में, जब सब कुछ त्वरित गति से चल रहा है, धार्मिक और आध्यात्मिक अनुष्ठानों में भी यह प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। पहले के समय में, भागवत कथा का आयोजन सात दिनों तक किया जाता था, और श्रोताओं को गहराई से कथा सुनाई जाती थी। लेकिन आज कलयुग में समय की कमी और व्यस्त जीवनशैली के कारण, यह पूरा प्रवाह संक्षिप्त हो गया है। ऐसा लगता है मानो गागर में सागर को भरने का प्रयास किया जा रहा है।

संबंधित विषय

पूज्या रश्मि मिश्रा जी
ये विडियो भी देखें 
Video: रामचरितमानस | सभी दुखों और कष्टों से मुक्ति पाएं | Pujya Rashmi Ji
Video: अपने दुखों को दूर भगाएं | सुनिए भगवान श्री कृष्ण कथा | पूज्य रश्मि मिश्रा जी | Pujya Rashmi Mishra Ji

श्रीमद् भागवत कथा, जो कि तृतीय स्कंध से आरंभ होती है और अष्टम स्कंध तक जाती है, उसे सुनने में अगर हम पूरी तरह से ध्यान दें, तो सात दिन भी कम पड़ते हैं। लेकिन आजकल, तीन घंटे में ही पूरी कथा सुनाई जाती है, और श्रोता उस ज्ञान को समझ पाने में असमर्थ होते हैं। यह केवल कथा की संक्षिप्तता नहीं है, बल्कि श्रोताओं की मनोस्थिति को भी दर्शाता है।

कथा में मन का न लगना: कलयुग का प्रभाव

कलयुग के इस दौर में लोगों की मानसिकता बदल गई है। पहले जहां भक्तजन सात दिनों तक भागवत कथा का रसपान करते थे, आज तीन घंटे भी सुन पाना कठिन हो गया है। यह कलयुग का प्रभाव है कि जीवों की मानसिकता इतनी कमजोर हो गई है कि उनका मन धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों में नहीं लगता।

ध्यान दें, आज की दुनिया में यदि किसी नाच-गाने के कार्यक्रम का आयोजन होता है, तो वहां इतनी भीड़ जुटती है कि उसे नियंत्रित करने के लिए पुलिस लगानी पड़ती है। लेकिन जब भागवत कथा की बात आती है, तो वही भीड़ कहीं नजर नहीं आती। श्रोताओं का ध्यान धार्मिक गतिविधियों से हट चुका है, और यह सनातन धर्म के लिए एक बड़ी क्षति है।

ये भी पढें

Dhaarmi Bites: भगवद गीता से दैनिक धाार्मिक पाठ: 9 June 2024

मोक्ष की इच्छा, पर प्रयास का अभाव

अधिकतर लोग मोक्ष की इच्छा रखते हैं, लेकिन इसके लिए जो प्रयास करने होते हैं, वो कोई नहीं करना चाहता। भजन करने में आजकल किसी का मन नहीं लगता, लेकिन मोक्ष की उम्मीद सभी रखते हैं। मोक्ष का वास्तविक अर्थ है, जहां मोह का क्षय हो जाए। यह जीवन की ऐसी अवस्था है, जहां जीते जी व्यक्ति की आकांक्षाएं और इच्छाएं समाप्त हो जाती हैं। परंतु आजकल के लोग बिना किसी प्रयत्न के मोक्ष पाना चाहते हैं।

शास्त्रों में कहा गया है कि मोक्ष प्राप्त करना सरल नहीं है। इसके लिए मन और आत्मा को भगवान की शरण में समर्पित करना होता है, लेकिन आजकल के लोग इस मार्ग पर चलने के लिए तैयार नहीं होते। इसलिए, जो भी व्यक्ति भगवान से प्रेम और भक्ति नहीं करता, उसे मोक्ष पाना मुश्किल हो जाता है।

कथा का रस नहीं, तो फल भी संक्षिप्त

कलयुग में कथा सुनने वाले यदि रसिक न हों, तो कथा सुनाने वाले का भी मन टूट जाता है। कथा सुनाने का पूरा उद्देश्य श्रोताओं को भगवान की ओर प्रेरित करना होता है, लेकिन जब श्रोता स्वयं ही इसे संक्षिप्त रूप में सुनते हैं, तो कल्याण भी संक्षिप्त ही होगा। जैसा समय हम भगवान को देंगे, वैसा ही समय भगवान हमें देंगे।

अक्सर यह देखा गया है कि भागवत कथा के दौरान लोग ध्यान नहीं देते, और कुछ लोग तो कथा के बीच में ही उठकर चले जाते हैं। यह दर्शाता है कि धार्मिक क्रियाओं के प्रति आजकल लोगों में रूचि कम हो गई है। सबको मुक्ति और मोक्ष चाहिए, लेकिन मेहनत और तपस्या कोई नहीं करना चाहता।

सती महारानी का त्याग और यज्ञ की विफलता

भागवत कथा में दक्ष प्रजापति और सती महारानी की कथा एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। दक्ष प्रजापति की पुत्री सती का विवाह भोलेनाथ से हुआ था, लेकिन एक घटना के कारण दक्ष प्रजापति ने भोलेनाथ का अपमान किया। यज्ञ में भोलेनाथ का भाग न देखकर सती अत्यंत दुखी हुईं और उन्होंने यज्ञ स्थल पर अपने प्राण त्याग दिए। इस यज्ञ का ध्वंस कर दिया गया क्योंकि इसमें एक द्वेष की भावना थी।

शास्त्रों में कहा गया है कि कोई भी यज्ञ, पूजा या धार्मिक कार्य तभी सफल होता है, जब उसमें सबके कल्याण की भावना हो। यदि उसमें किसी को नीचा दिखाने या द्वेष भावना होती है, तो वह सत्कर्म कभी सफल नहीं होता। यही कारण है कि श्रीमद् भागवत को परम संहिता कहा गया है, क्योंकि इसमें जगत के कल्याण की भावना समाहित है।

श्रीमद् भागवत: परम संहिता

श्रीमद् भागवत को महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित शाश्वत संहिता कहा गया है। इस ग्रंथ का मुख्य उद्देश्य है समस्त जीवों का कल्याण करना। इसमें जो उपदेश दिए गए हैं, वे जीवन के हर पहलू को दिशा देने वाले हैं। इसमें भगवान की भक्ति, मोक्ष और धर्म का विस्तृत वर्णन है, जो मनुष्य को सत्य मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

श्रीमद् भागवत हमें सिखाता है कि संसार में सबका कल्याण हो, और यही धर्म का असली उद्देश्य है। जो व्यक्ति इस कथा को ध्यान से सुनता और समझता है, वही जीवन में सच्चा मोक्ष प्राप्त कर सकता है।