गणेश चतुर्थी पर चांद देखने का सच: धार्मिक मान्यता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

गणेश चतुर्थी का पर्व हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह पर्व भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि, समृद्धि एवं सौभाग्य के देवता माना जाता है। इस दिन, भक्तजन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। लेकिन गणेश चतुर्थी के दिन से जुड़ी एक महत्वपूर्ण मान्यता है, जिसके अनुसार इस दिन चंद्रमा का दर्शन करना अशुभ माना जाता है। आइए, इस मान्यता के धार्मिक और वैज्ञानिक पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करते हैं।

गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा देखने से क्या होगा?

धार्मिक मान्यता के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन करना अशुभ माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा का दर्शन करने से व्यक्ति पर कलंक लग सकता है, जिससे उसका समाज में अपमान हो सकता है। इसके पीछे एक पुराणिक कथा है।

कथा के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का वाहन मूषक (चूहा) एक सर्प देखकर डर गया और वह भागने लगा। मूषक के भागने से भगवान गणेश भी गिर पड़े। इससे उनकी पेट की माला टूट गई और सारा लड्डू बिखर गया। यह देखकर चंद्रमा ने भगवान गणेश का उपहास किया। इस अपमान से क्रोधित होकर भगवान गणेश ने चंद्रमा को श्राप दिया कि जो भी व्यक्ति गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन करेगा, उस पर झूठे आरोप लगेंगे और वह समाज में कलंकित होगा।

हालांकि, बाद में चंद्रमा ने भगवान गणेश से माफी मांगी और अपने श्राप से मुक्ति की प्रार्थना की। भगवान गणेश ने उन्हें यह श्राप तो नहीं हटाया, लेकिन उन्होंने इसे कुछ शर्तों के साथ सीमित कर दिया। इसके अनुसार, जो भी व्यक्ति गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन करेगा, उस पर मिथ्या दोषारोपण का संकट आ सकता है, लेकिन अगर वह भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करके उनकी कथा सुनेगा, तो उसका यह दोष समाप्त हो जाएगा।

चांद कब नहीं देखना चाहिए?

गणेश चतुर्थी के दिन विशेष रूप से चंद्रमा का दर्शन करने से बचना चाहिए। इसके अलावा, कुछ मान्यताओं के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी और अंगारकी चतुर्थी के दिन भी चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए।

लेकिन गणेश चतुर्थी का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन भगवान गणेश द्वारा दिए गए श्राप के कारण चंद्रमा का दर्शन करना अशुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, चतुर्थी के समय रात के दौरान चंद्रमा के दर्शन करने से बचना चाहिए, विशेष रूप से गणेश चतुर्थी के दिन।

कौन सी चतुर्थी का चंद्रमा नहीं देखना चाहिए?

गणेश चतुर्थी के अलावा, संकष्टी चतुर्थी और अंगारकी चतुर्थी के दिन भी चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए। संकष्टी चतुर्थी प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आती है, और अंगारकी चतुर्थी का महत्व तब अधिक बढ़ जाता है जब यह चतुर्थी मंगलवार को पड़ती है। इन दिनों में भी चंद्रमा का दर्शन अशुभ माना जाता है और इससे बचने की सलाह दी जाती है।

गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा न देखने का वैज्ञानिक कारण क्या है?

गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन न करने का धार्मिक कारण तो स्पष्ट है, लेकिन इसके पीछे एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी हो सकता है।

प्राचीन काल में, जब विज्ञान और खगोलशास्त्र की जानकारी सीमित थी, तो लोगों को चंद्रमा के विभिन्न रूपों और उनके प्रभाव के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। चंद्रमा की विभिन्न स्थितियों और उसकी चाल को समझना कठिन था, इसलिए इसके बारे में कई मिथक और मान्यताएं प्रचलित हो गईं।

इसके अलावा, चंद्रमा के साथ जुड़ी ज्योतिषीय मान्यताएं भी इस परंपरा के पीछे हो सकती हैं। ज्योतिष के अनुसार, चंद्रमा का प्रभाव हमारे मन और भावनाओं पर होता है। गणेश चतुर्थी के दिन, जब चंद्रमा विशेष स्थिति में होता है, तो उसे देखने से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यह संभव है कि प्राचीन समय में लोगों ने चंद्रमा के इस प्रभाव को महसूस किया हो और इसे अशुभ मानते हुए, इस दिन चंद्रमा का दर्शन करने से मना किया हो।

गणेश चतुर्थी पर अगर गलती से चांद दिख जाए तो क्या होगा?

गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन करने से बचने की पूरी कोशिश की जाती है, लेकिन यदि गलती से किसी व्यक्ति का चंद्रमा के दर्शन हो जाएं, तो उसे घबराने की जरूरत नहीं है। शास्त्रों में इसका उपाय भी बताया गया है।

यदि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन हो जाए, तो व्यक्ति को तुरंत भगवान गणेश की आराधना करनी चाहिए और “स्यमन्तक मणि” की कथा का श्रवण करना चाहिए। इस कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण पर भी मिथ्या आरोप लगे थे, जिन्हें उन्होंने स्यमन्तक मणि के माध्यम से समाप्त किया था। इस कथा का श्रवण करने से व्यक्ति पर लगे कलंक का निवारण हो जाता है।

इसके अलावा, गणेश मंत्रों का जाप भी इस दोष को समाप्त करने में सहायक माना जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन, यदि चंद्रमा का दर्शन हो जाए, तो “ओम गण गणपतये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करने से व्यक्ति को इस दोष से मुक्ति मिल सकती है।