एकादशी का महत्त्व

एकादशी व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत महत्त्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि स्वास्थ्य और मानसिक शांति के लिए भी लाभकारी है। भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने और मोक्ष की ओर अग्रसर होने के लिए एकादशी व्रत का पालन अवश्य करना चाहिए। इससे व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी 17 जून को सुबह 4:43 बजे से शुरू होकर 18 जून, सुबह 6:24 बजे तक रहेगी। निर्जला एकादशी व्रत 18 जून, मंगलवार को रखा जाएगा।

एकादशी व्रत की उत्पत्ति

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने अपने शरीर से पापों के नाश के लिए एक शक्ति का सृजन किया, जिसे एकादशी कहा जाता है। इस शक्ति ने सभी पापों का नाश किया और भगवान विष्णु ने उसे आशीर्वाद दिया कि जो भी इस दिन व्रत करेगा, उसे सभी पापों से मुक्ति मिलेगी।

एकादशी व्रत की विधि

व्रत की तैयारी

एकादशी व्रत का पालन करने के लिए व्रतकर्ता को दशमी तिथि की रात से ही सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए। व्रत के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान कर लेना चाहिए और स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।

पूजा विधि

  1. भगवान विष्णु की पूजा: सबसे पहले भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर के सामने घी का दीपक जलाएं और उनके चरणों में फूल चढ़ाएं। उन्हें तुलसी दल अर्पित करें, क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है।
  2. मंत्र जाप: विष्णु सहस्त्रनाम या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
  3. व्रत कथा: एकादशी व्रत कथा का श्रवण या पाठ करें। यह कथा व्रत के महत्त्व और फल का वर्णन करती है।
  4. आरती: भगवान विष्णु की आरती करें और अंत में उन्हें भोग लगाएं। भोग में फल, मेवा और मिठाई शामिल करें।

व्रत का पालन

व्रत के दिन निराहार या फलाहार रहकर भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए दिन बिताना चाहिए। दिन भर विष्णु मंत्र का जाप और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना चाहिए। इस दिन किसी भी प्रकार के तामसिक आहार और नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए।

एकादशी व्रत के लाभ

  1. आध्यात्मिक शुद्धि: एकादशी व्रत का पालन करने से मन और आत्मा की शुद्धि होती है। यह व्रत व्यक्ति को मानसिक शांति और संतोष प्रदान करता है।
  2. पापों का नाश: एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के समस्त पापों का नाश होता है और उसे भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  3. स्वास्थ्य लाभ: इस व्रत से शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार होता है। यह व्रत शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करता है और ऊर्जा प्रदान करता है।
  4. मोक्ष की प्राप्ति: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत का पालन करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह भगवान विष्णु के परम धाम को प्राप्त करता है।

एकादशी व्रत की तिथियाँ

हर माह में दो एकादशी तिथियाँ होती हैं – शुक्ल पक्ष की एकादशी और कृष्ण पक्ष की एकादशी। इन दोनों तिथियों का महत्त्व समान होता है और दोनों ही दिन व्रत रखने से पुण्य की प्राप्ति होती है।