होली, भारत में खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाने वाला रंग-बिरंगा त्योहार, लाखों लोगों के दिलों में विशेष स्थान रखता है। 2024 में, होली का त्योहार 25 मार्च को मनाया जाएगा, जिससे पहले दिन को छोटी होली या होलिका दहन कहा जाता है, जो 24 मार्च को होगा। इस लेख में होली 2024 के महत्व, इतिहास, रीति-रिवाज और शुभ मुहूर्त पर विस्तार से चर्चा की गई है।

होली 2024 तारीख और समय

होली, रंगों का त्योहार, एक दो दिन का उत्सव है। छोटी होली, जिसे होलिका दहन भी कहा जाता है, 24 मार्च को आरंभ होगी। होलिका दहन के शुभ मुहूर्त 24 मार्च को 11:13 बजे से शुरू होकर 25 मार्च को 12:27 बजे तक रहेगा। होली का मुख्य दिन 25 मार्च को है, जिसमें लोग एकता और खुशी में रंग भरते हैं।

होली 2024: शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

  • होलिका दहन: 14 मार्च 2024, शाम 6:24 से 8:51 बजे तक (स्थानीय समयानुसार बदल सकता है)
  • धुलेंडी या रंगवाली होली: 15 मार्च 2024, सुबह से शाम तक

पूजा विधि:

  1. होलिका दहन की तैयारी: होलिका दहन के लिए लकड़ी, गोबर के कंडे, सूखी पत्तियाँ और अन्य सामग्री का ढेर लगाया जाता है।
  2. पूजा सामग्री: रोली, मौली, चावल, फूल, हल्दी, नारियल, गुड़, धूप, दीपक, और प्रसाद की व्यवस्था करें।
  3. पूजा करना: होलिका दहन से पहले, पूजा करने के लिए घर के सदस्य एकत्रित होते हैं। होलिका के चारों ओर परिक्रमा करते हुए, रोली, चावल, फूल और अन्य पूजा सामग्री से पूजन किया जाता है।
  4. होलिका दहन: पूजा के बाद, होलिका को अग्नि दी जाती है। इस दौरान मंत्रों का जाप और भजन गाए जाते हैं।
  5. प्रसाद वितरण: होलिका दहन के बाद, प्रसाद के रूप में गुड़, नारियल और अन्य मिठाइयाँ बांटी जाती हैं।

होली 2024 इतिहास और महत्व

होली की जड़ें प्राचीन हिंदू पौराणिक कथाओं में हैं, जिसमें त्योहार के साथ विभिन्न किस्से जुड़े हैं। इनमें से सबसे प्रसिद्ध कथा है प्रहलाद और होलिका की। प्रहलाद, भगवान विष्णु के भक्त, को उसके पिता हिरण्यकश्यपु की दुराचारी इच्छाओं से बचाया गया था। होलिका, जिसे अग्नि से सुरक्षा की वरदान मिला था, उसे जलाने के लिए बैठी थी, जिससे अंत में उसी आग में जलकर मर गई। यह अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

होली 2024 रीति-रिवाज और उत्सव

होली एक त्योहार है जो सीमाएं पार करता है, लोगों को एक-दूसरे पर रंग चढ़ाने, मिठाई आदि का आदान-प्रदान करने और खुशी मनाने के लिए एकत्रित करता है। पारंपरिक व्यंजन जैसे गुजिया, ठंडाई, और भांग इस उत्सव को और भी रंगीन बनाते हैं। यह त्योहार क्षमा, रिश्तों की पुनर्मिलन, और प्रेम और सद्भाव की भावना को बढ़ावा देता है।