हनुमान जन्मोत्सव 2024: हनुमान चालीसा, जिसमें 40 चौपाइयां होती हैं, धार्मिक मान्यता के अनुसार हनुमानजी की कृपा पाने के लिए श्रेष्ठ स्तुति मानी गई है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा की रचना श्रीरामचरित्र मानस की रचना से पूर्व की थी। उन्होंने हनुमानजी को अपना गुरु बनाकर भगवान श्रीराम को पाने की इच्छा की थी। चालीसा जिसमें 40 चौपाइयां होती हैं, यदि आप सिर्फ हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं तो आपको धार्मिक लाभ ही मिलेगा नहीं, बल्कि इसके अर्थ में छिपे लाइफ मैनेजमेंट के सूत्रों को समझने से आपको जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिल सकती है।

मार्गदर्शन के लिए गुरु “श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।” यह दोहा बताता है कि आपको अपने गुरु के चरणों की धूल से अपने मन के दर्पण को साफ करना चाहिए। जीवन में गुरु की उपस्थिति बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे ही आपको सही रास्ते पर चलने का मार्ग दिखा सकते हैं। गुरु को ही पहला गुरु माना जाता है, क्योंकि वे ही आपको सही मार्गदर्शन करते हैं। अगर तरक्की की राह पर आगे बढ़ना है, तो विनम्रता के साथ बड़ों का सम्मान करना चाहिए।

पहनावें का रखें ध्यान “कंचन बरन बिराज सुबेसा, कानन कुंडल कुंचित केसा।” यह दोहा बताता है कि आपके शरीर का रंग सोने की तरह चमकीला होना चाहिए, सुवेष अर्थात अच्छे वस्त्र पहने हों, कानों में कुंडल हों और बाल संवरे हुए हों। आज के दौर में आपकी तरक्की इस बात पर भी निर्भर करती है कि आप कैसे रहते और दिखते हैं। अगर आप बहुत गुणवान हों लेकिन अच्छे से नहीं रहते हैं, तो यह आपके करियर को प्रभावित कर सकती है। इसलिए रहन-सहन और ड्रेसअप हमेशा अच्छा रखें।

चतुर होना भी जरूरी है “बिद्यावान गुनी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर।” यह दोहा बताता है कि आप विद्यावान हों, गुणों की खान हों, चतुर भी हों। राम के काम करने के लिए सदैव आतुर रहें। आज के दौर में एक अच्छी डिग्री होना बहुत जरूरी है, लेकिन चालीसा कहती है कि सिर्फ डिग्री होने से आप सफल नहीं होंगे। विद्या हासिल करने के साथ आपको अपने गुणों को भी बढ़ाना पड़ेगा, बुद्धि में चतुराई भी लानी होगी। हनुमानजी में तीनों गुण हैं, वे सूर्य के शिष्य हैं, गुणी भी हैं और चतुर भी।

सबकी बात ध्यान से सुनें “प्रभु चरित सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया।” यह दोहा बताता है कि आप राम चरित यानी राम की कथा सुनने में रसिक हों, राम, लक्ष्मण और सीता तीनों ही आपके मन में वास करें। जो आपकी प्राथमिकता है, जो आपका काम है, उसे लेकर सिर्फ बोलने में नहीं, सुनने में भी आपको रस आना चाहिए। अच्छा श्रोता होना बहुत जरूरी है, अगर आपके पास सुनने की कला नहीं है तो आप कभी अच्छे लीडर नहीं बन सकते।

मन में विश्वास और प्रभु में आस्था “प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही, जलधि लांघि गए अचरज नाहीं।” यह दोहा बताता है कि राम नाम की अंगुठी अपने मुख में रखकर आपने समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई अचरज नहीं है। अगर आपमें खुद पर और अपने परमात्मा पर पूरा भरोसा है, तो आप कोई भी मुश्किल से मुश्किल काम को आसानी से पूरा कर सकते हैं। प्रतिस्पर्धा के दौर में आत्मविश्वास की कमी नहीं होनी चाहिए। कार्य की सफलता के लिए सर्वप्रथम जरूरी है कि आप अपने ऊपर और ईश्वर पर पूर्ण विश्वास रखें।