मनुष्य सुख की प्राप्ति के लिए प्रयास करता है, फिर भी उसे दुख क्यों सहना पड़ता है? | मनोज शास्त्री जी

अजय एक साधारण व्यक्ति है, जिसके जीवन में संगीत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उनके जीवन की यात्रा में कई घटनाएं घटित होती हैं, जो उनके व्यक्तित्व को आकार देती हैं।

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Manoj Shastri ji

एक दिन, अजय को अपने मित्र विदुरजी से मिलने का मौका मिलता है। विदुरजी उद्धवजी से मिलने जा रहे हैं और उनसे कुछ संकेत मिलते हैं, जिन्हें श्रीकृष्ण पानी संकेत कहा जाता है। अजय को मैत्रेय के पास जाने के लिए कहा जाता है, जो मैत्रिणी के पास हरिद्वार में है।

यहां पर अमित भी अजय से मिलने के लिए हरिद्वार आता है और एक प्रश्न पूछता है। अजय इस प्रश्न का उत्तर ढूंढ़ने की कोशिश करता है। वह अपने मित्र से पूछता है कि क्यों व्यक्ति को कार्य करने के लिए दुख मिलता है। उसका मित्र उत्तर देता है कि यह केवल एक कारण है और वह है कि व्यक्ति ईश्वर को भूलकर कार्य करता है। जब व्यक्ति ईश्वर को स्मरण करके कार्य करता है, तो उसका परिणाम सुखमय होता है।

अजय इस बात को समझता है और यह महसूस करता है कि हम गोविंद को भूलकर संपन्नता में जीते हैं। वह यह भी देखता है कि लोग दूसरों की मृत्यु पर दुख व्यक्त करते हैं, लेकिन अपनी मृत्यु पर कभी नहीं सोचते। उनका मानना है कि यह एक गलत रवैया है और हमें अपनी मृत्यु पर भी ध्यान देना चाहिए।

अंत में, अजय यह समझता है कि जीवन में संगीत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और हमें ईश्वर को स्मरण करके कार्य करना चाहिए, ताकि हमारा जीवन सुखमय हो।