वीडियो श्रीमद्भागवत सुनने से चार मुख्य लाभ होते हैं | भास्करानंद जी

अजय को भागवत कथा सुनने से कभी यह नहीं कहना चाहिए कि “अब हमने बहुत सुन लिया।” ठीक वैसे ही जैसे भोजन, प्राणवायु और नींद नित्य आवश्यक हैं, वैसे ही भागवत कथा भी जीवन का नित्य अंग होनी चाहिए। तुलसीदास जी जैसे संतों ने भी बार-बार रामकथा सुनने पर बल दिया, तब जाकर सही अर्थों की समझ आई। बार-बार कथा सुनने से व्यक्ति का ज्ञान, वैराग्य और आचरण शुद्ध होता है। यह सत्संग मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है, जिससे जीवन पवित्र बनता है।