बेल वृक्ष : सावन 2024 में ऐसा करने से महादेव करेंगे चमत्कार | कौशिक जी महाराज

बेल वृक्ष हिंदू धर्म में अत्यंत पूजनीय और महिमा से भरपूर माना गया है। जो लोग सावन में नित्य बेल वृक्ष की परिक्रमा करते हैं, उन्हें सुमेरू पर्वत की प्रदक्षिणा के समान पुण्य प्राप्त होता है। यह कार्य सावन में इतना फलदायी होता है कि इससे न केवल आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि जीवन में अनेक प्रकार के लाभ भी मिलते हैं।

बेल वृक्ष की परिक्रमा का फल

सावन में जो व्यक्ति नियमित रूप से बेल वृक्ष की परिक्रमा करता है, उसे सुमेरू पर्वत की परिक्रमा करने का फल मिलता है। इस वृक्ष की परिक्रमा का इतना बड़ा महत्व है कि इसके माध्यम से व्यक्ति को महान पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, जो लोग सावन में बेल वृक्ष की जड़ों में नित्य एक लोटा जल अर्पित करते हैं, उन्हें सभी तीर्थ स्थलों के स्नान का फल तत्काल प्राप्त होता है।

जल चढ़ाने का महत्व

बेल वृक्ष की जड़ों में एक लोटा जल अर्पित करने से व्यक्ति को सभी तीर्थों का फल मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग महादेव के पिंडी पर या बेल वृक्ष की जड़ों में जल चढ़ाते हैं, उनके पूर्वज कभी प्यासे नहीं रहते। इसके अलावा, उन परिवारों में हमेशा संतानों की प्राप्ति होती है। इस क्रिया से घर की स्त्रियां बाँझ नहीं रहती और संतानों से वंचित नहीं होतीं।

पूजा विधि और परिणाम

शास्त्रों में वर्णन है कि यदि बेल वृक्ष की जड़ों में जल अर्पित करने के बाद, एक फूल पर रोली, चंदन और चावल चढ़ाया जाए और एक दीपक जलाकर बेल वृक्ष के नीचे रखा जाए, तो इससे शिवलोक की प्राप्ति होती है। इस पूजा का फल यह होता है कि पूजा करने वाले व्यक्ति को संतानों का सुख प्राप्त होता है, और मृत्यु के बाद उसे शिवलोक में स्थान मिलता है।

वृहद फल की प्राप्ति

श्रीमद विदेश्वर संगीता में वर्णित है कि जो लोग बेल वृक्ष की जड़ों में एक लोटा जल चढ़ाते हैं और दीपक जलाते हैं, उन्हें तत्व ज्ञान की प्राप्ति होती है। वे विद्वान हो जाते हैं और उनका जीवन धार्मिकता और तत्वज्ञान से परिपूर्ण हो जाता है।